रेणुकाजी. मिनी जू रेणुका में जल्द ही बंगाल टाइगर दहाड़ेंगे। यह मामला काफी समय से सीजेडए के पास लटका हुआ था। अब केंद्रीय जू प्राधिकरण (सीजेडए) ने वन्य प्राणी विभाग की ओर से तैयार किए ले आउट प्लान को अपनी स्वीकृति दे दी है।
वन्य प्राणी विभाग इस ले आउट प्लान को हरी झंड़ी मिलते ही अब बंगाल टाइगर के लिए नए व आधुनिक बाड़े का निर्माण करेगा। यह एनक्लोजर ट्रांसप्लांट शीशे का बनाया जाएगा। ताकि पर्यटक टाइगर का नजदीक से दीदार कर सकें। इस एनक्लोजर के निर्माण के लिए विभाग ने प्राकलन भी तैयार कर लिया है।
टाइगर के बाड़े का निर्माण होते ही गुजरात के जूनागढ़ से बंगाल टाइगर का एक जोड़ा यहां लाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि चार वर्षों से ही यहां शेरों के पिंजरे खाली पड़े हुए हैं। जिनको गुलजार करने के लिए विभाग लंबे समय से ही योजनाएं तैयार करता आ रहा है, लेकिन सीजेडए के कठोर नियम विभाग की इन योजनाओं पर भारी पड़ रहे थे।
इसे ध्यान में रखते हुए वन्य प्राणी विभाग ने जू का विस्तृत ले आउट प्लान तैयार करवाकर सीजेडए को भेजा था। जिस पर सीजेडए ने अपनी स्वीकृति प्रदान करने के साथ ही टाइगर के बाड़े के निर्माण को हरी झंडी दे दी है।
ले आउट प्लान के अंतर्गत ही सीजेडए के नियम और मापदंडों को पूरा करके जू में कुछ आवश्यक सुविधाएं भी जुटाई जाएंगी। उम्मीद है कि गर्मियां शुरू होने से पहले ही यहां टाइगर का जोड़ा लाया जा सकेगा।
शेरों की मौत के बाद बनाई योजना: मिनी जू रेणुका में एशियन प्रजाति के बब्बर शेर लुप्त हो जाने के बाद ही सीजेडए के आदेशों के बाद यहां रॉयल बंगाल टाइगर शेर की दूसरी प्रजाति लाने की योजना बनाई गई। रोग रोधक क्षमता कम होने के कारण बब्बर शेर की प्रजाति यहां की आबो हवा से मेल नहीं खा रही थी। विभाग यहां अब रॉयल बंगाल टाइगर लाने की तैयारी कर रहा है। शुरुआती तौर पर टाइगर के कम उम्र के एक ही जोड़े को यहां लाया जाएगा। अगर यह जोड़ा यहां की आबो हवा में रस बस गया तो इसकी संख्या को बढ़ाया भी जा सकेगा।
प्राकलन तैयार है : उधर वन्य प्राणी विभाग शिमला के डीएफओ राजेश शर्मा ने बताया कि ले आउट प्लान को स्वीकृति मिल चुकी है। टाइगर के बाड़े का प्राकलन भी तैयार कर लिया गया है। उसे स्वीकृति के लिए उच्च अधिकारियों को भेजा जा रहा है। मंजूरी मिलते ही सबसे पहले आधुनिक रूप से बाड़े का निर्माण किया जाएगा।